• Social Media Links
  • Site Map
  • Accessibility Links
  • हिन्दी
Close

इतिहास

देवास का इतिहास वास्तव में संधि के फलस्वरूप बने देवास सीनियर तथा जूनियर राज्यों एवं इसको दूसरे अंग जैसे पूर्व होलकर राज्य की कन्नौद और खातेगांव तहसील से सम्बंधित है ।  देवास सीनियर शाखा के संस्थापक तुकोजीराव प्रथम थे जो कि परमार वंश के माने जाते है । इनकी मृत्यु 1753 में हुई । इनके उत्तराधिकारी इनके दत्तक पुत्र कृष्णाजीराव हुए । इन्होने 1761 के पश्चात् 1789 इनके दत्तक पुत्र तुकोजीराव द्वितीय उत्तराधिकारी बने ।

दोनों ही राज्यों को पिण्डारी, सिंधिया तथा होलकर के कारण पतन का सामना करना पड़ा । साथ ही कृष्णाजीराव द्वितीय जो 1860 में   रुकमांगद राव के उत्तराधिकारी हुए थे एक कुशासक सिद्ध हुए जिनके कारण राज्य कर्ज में डूब गया । इनके उत्तराधिकारी तुकोजीराव तृतीय थे जो कि परिवार की अन्य शाखा से दत्तक लिए गए थे । इनकी शिक्षा इंदौर के डेली कॉलेज तथा अजमेर के मेयो कॉलेज में हुई थी तथा इन्हे राजा एवं हिज – हाइनेस की उपाधि तथा 15 तोपो की सलामी का सम्मान प्राप्त था ।

देवास ने सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की । राघोगढ़ (देवास) के ठाकुर दौलत सिंग ने अंग्रेजो का अत्यंत साहस से सामना किया था उन्हें पकड़ा जाकर गुना छावनी में फांसी पर चढ़ा दिया गया था । जिले के अन्य महत्वपूर्ण भाग में पूर्व होलकर राज्य की कन्नौद एवं खातेगांव तहसील का नेमावर भी है ।   पौराणिक साहित्य में नेमावर का उल्लेख नाभपुर के रूप है ।  नेमावर के समीप ही ग्वाल टेकरी को मणीगिर के नाम से भी जाना जाता है ।

अकबर के शासनकाल में यह क्षेत्र मालवा सूबा के सरकार हांडिया  में होकर नेमावर पंचमहल के रूप में जाना जाता था , जिसमे पांच परगने, नेमावर , सतवास, राजोर, महाल मुख्यालय थे । यह क्षेत्र पेशवाओ के अधीन भी रहा । 1740-45 के दौरान यह क्षेत्र सिंधिया और होलकर में बंट गया । सिंधिया के पास सतवास तथा होलकर के पास कांटाफोड़ रहा । 1806 के आस पास पिण्डारियों का भी क्षेत्र में रहा । 1904 में हरणगांव नेमावर में एवं सतवास का विलय कांटाफोड़ में हो गया । 1908 में नेमावर को खातेगांव तथा राजोर को कन्नौद नाम दिया गया, कांटाफोड़ को कन्नौद में मिला दिया गया , जिससे की वह नायब तहसीलदार का क्षेत्र मात्र रह गया । 1948 में मध्य भारत के जिले के रूप में आने के पूर्व सोनकच्छ, उज्जैन का तथा नीयनपुर धार का हिस्सा थे । 5 फरवरी 1949 के मध्य – भारत गजट की अधिसूचना के अनुसार जिले को 5 तहसीलो में बांटा गया था । देवास तहसील का गठन देवास सीनियर तथा जूनियर राज्य देवास तहसील का निर्माण देवास सिनियर एवं जूनियर राज्यों के क्षेत्रो को मिलाकर किया गया । देवास सीनियर के खानखेड़ा तथा उमसोद ग्राम को तथा जूनियर के गोयता , टांडा, गुजर बढ़िया को शाजापुर तहसील में मिला दिया गया । सोनकच्छ तहसील पूर्व सोनकच्छ परगना के ग्रामो से बनाई गई । इसके 200 गाँवो को बागली तहसील तथा 26 गाँवो को शाजापुर में मिला दिया गया । इस प्रकार बागली तहसील सोनकच्छ परगने के 200 ग्राम, पूर्व देवास सीनियर के शिवपुर मंडिया, तथा बोरखेड़ा पुरभ्या तथा पूर्व धार राज्य के नियनपुर परगने को मिलाकर बनाई गई । पूर्व होलकर राज्य के कन्नौद एवं खातेगांव तहसील में कोई बदलाव नहीं आया