सामान्य जानकारी
जिले का नाम देवास जिले के मुख्यालय के नाम पर है जो कि दो परम्परागत धारणाओं के आधार पर रखा गया है । पहली धारणा के अनुसार देवास, शंखाकार पहाड़ी जो की चामुण्डा पहाड़ी के नाम से जानी जाती है के लगभग 300 फीट नीचे बसा हुआ है । पहाड़ी के शिखर पर चामुण्डा मंदिर स्थित है । देवी की प्रतिमा पहाड़ी पर एक गुफा में चट्टानी दीवार पर उत्क्रीर्ण है । इसलिए यह देवी वैशिनी या देवी-वास के नाम से जाना जाता है। देवी का वास होने से देवास (देव+वास) नाम लिया गया दूसरी धारणा के अनुसार देवास नाम समीप के ‘ देवास बनीया ‘ गांव के संस्थापक के नाम पर पड़ा ।
वर्तमान देवास जिला प्रारंभिक बीसवीं सदी में तत्समय प्रभावशील मालवा- पोलिटिकल चार्ज तथा सेंट्रल इंडिया एजेंसी के समय हुई संधि से देवास सीनियर एवं देवास जूनियर दो राज्यों में विभक्त था । उस समय दोनों राज्यों का प्रशासन पृथक – पृथक था एवं कई मामलों में स्वतंत्र रूप से कार्य करते थे लेकिन देवास शहर साइनी राजधानी के रूप में कार्यरत था ।
देसी राज्यों के विलय तथा 1948 मध्य भारत के बनने के उपरांत जिले की सीमाओं का पुनः निर्माण किया गया । तत्समय निर्मित जिले के स्वरूप अनुसार ही जिले का वर्तमान स्वरूप बना । इस नवगठित जिले को पूर्व के देवास सीनियर तथा जूनियर राज्यों की दो तहसीलो के 242 ग्रामो को सोनकच्छ तहसील के 452 ग्रामो को एवं पूर्व होलकर राज्य की कन्नौद तथा खातेगांव तहसील को मिलाकर बनाया गया है । भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन 1 नवंबर 1956 में एवं मध्य भारत के विलय के उपरांत नवगठित मध्य प्रदेश के विलय के उपरांत नवगठित मध्य-प्रदेश में देवास एक जिले के रूप में रहा ।
वर्तमान में जिला 9 तहसीलो में बटा हुआ है । सोनकच्छ, देवास, बागली, कन्नौद, टोंकखुर्द, खातेगांव, सतवास, हाटपिपल्या, उदयनगर । देवास तहसील जिले के उत्तर पश्चिम भाग में, सोनकच्छ, उत्तर पूर्वी भाग में बागली दक्षिण में, कन्नौद मध्य दक्षिण भाग में खातेगांव दक्षिण पूर्वी में स्थित है । तहसील मुख्यालय सड़क मार्गो से जुड़े है देवास तहसील मुख्यालय जो की देवास जिले का भी मुख्यालय है, राष्ट्रीय राजमार्ग क्र. 3 बॉम्बे आगरा रोड तथा पश्चिम रेलवे की ब्रॉडगेज लाइन पर स्थित है ।