कांवड़िया पहाड़ी
जिले की बागली तहसील से लगभग 10 km धाराजी नामक स्थान के पास ये पहाड़िया स्थित है ये सात पहाड़ियों के रूप में है जिनमे लाखो की संख्या में खंबेनुमा पत्थर की रचनाये है । जो षटकोण, पंचकोण, चतुष्कोण तथा त्रिभुजाकार आकृतियों के पत्थरो से बने हुए है । विभिन्न आकृतियों के पत्थर मानव निर्मित प्रतीत होते है इन्हे दुनिया का आठवां आश्चर्य भी कहा जा सकता है । वस्तुतः ये ज्वालामुखी विस्फोट से निर्मित हुए है इन पथरीले स्तम्भो से धातुओ के समान ध्वनि भी निकलती है । हिन्दू पौराणिक कथाओ के अनुसार महाबली भीम के द्वारा नर्मदा नदी के प्रवाह की दिशा एक दिन में नापने संबधी वचन को पूर्ण करने के लिए इन प्रस्तर खम्बो का निर्माण किया था जो महाबली भीम पूर्ण नहीं कर पाये थे ।
पंवार छत्री
पूर्व शासको (पंवार) की छत्रियां देवास के मीठा तालाब के समीप स्थित है । ये छत्रिया मराठा स्थापत्य का सुन्दर नमूना है । छत्रियों का बाहरी स्वरूप भव्य है परन्तु भीतरी हिस्से में बहुत सुन्दर कारीगरी की गई है । ये छत्रिया पूर्व शासको के कला प्रेमी स्वरूप को प्रदर्शित करती है ।
गिदीया खो
मालवा क्षेत्र ऐतिहासिक स्थलों एवं प्राकृतिक सुन्दरता से भरपूर है । जिले की रंगारंग, सांस्कृतिक , पृष्ठभूमि तथा पर्यावरण विद्वानों, इतिहासकारों तथा पर्यटकों को भी आकर्षित करती है इसके शांत वन तथा प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है । साथ ही जिले की आदिवासी क्षेत्र में अत्यंत प्राचीन स्थल भी है जिसे खुडैल देवता कहा जाता है । प्रत्येक पूर्णिमा एवं अमावस्या को इस स्थान पर आदिवासी पूजन हेतु एकत्र भी होते है । इसके समीप ही एक सुन्दर झरना भी है। यह झरना हरी भरी घाटी में होकर इंदौर नेमावर रोड से 9 कि. मी. कि दुरी पर स्थित है, 600 ft. ऊचाई से गिरती हुई पानी की धारा की बूंदो के कारण यह स्थल जबलपुर के भेड़ाघाट की याद दिलाता है । वर्षा काल में कई पर्यटक झरने को देखने आते है ।